Wednesday, 2 March 2016

असद्भिः शपथेनोक्तं



मूलम्-
असद्भिः शपथेनोक्तं जले लिखितमक्षरम् ।
सद्भिस्तु लीलया प्रोक्तं शिलालिखितमक्षरम् ॥ - सुभाषितरत्नभाण्डागार
पदविभागः- अन्वयः-
असद्भिः शपथेन उक्तं जले लिखितम् अक्षरम् । सद्भिः तु लीलया प्रोक्तं शिलालिखितम् अक्षरम् ॥
प्रतिपदार्थः-
असद्भिः = दुष्टैः, दुर्जनैः ; by wicked people
शपथेन = मिथ्यानिरमनम्, सत्यावधारणम् ; with oath, swearing
उक्तं = उक्तिः, वचनं ; said
जले = नीरे ; in water
लिखितम् = अक्षरबद्धम् ; written
अक्षरम् = शब्दस्य लिखितरूपं, वर्णम् ; letter
सद्भिः तु = सत्पुरुषैः तु ; but by the noble
लीलया = केल्या, परिहासाय, विनोदाय ; as a joke, lightly
प्रोक्तं = गदितं ; said
शिलालिखितम् = प्रस्तरे अक्षरबद्धम् ; written on stone
तात्पर्यम्-
दुष्टजनैः प्रतिज्ञापूर्वकमुक्तं वचनमपि नीरतले लिखितमक्षरमिव (लिखितुमसम्भवात् अनुक्षणे अदृश्यं) भवति। साधुजनैः केल्या निगदितं वचनमपि अश्मनि लिखिताक्षरमिव (न कदापि व्यामृष्टं भवति, शाश्वतकालिकं) उपतिष्ठति।

Even when wicked people [assuringly] say [something] by swearing, it is [like] a letter written on water. But even the noble say [something] as a joke, it is like a letter carved on stone.

दुर्जनों द्वारा शपथ लेकर भी कही गयी बात जल के ऊपर लिखे हुए अक्षर के समान होती है। सत्पुरुषों द्वारा हास परिहास में कही गयी बात भी पत्थर पर लिखे हुए अक्षर के समान होती है।
प्रश्नाः-
       १.      असद्भिः उक्तं कीदृशं वर्तते?
       २.      सद्भिः उक्तं कथं वर्तते?
       ३.      ‘लीलया’ इत्यस्य कोऽर्थः?
       ४.      ‘शिलालिखितम्’ इत्यत्र कः समासः?
       ५.      ‘प्रोक्तं’ इति शब्दव्युत्पत्तिं लिखतु।
       ६.      जले लिखितमक्षरं कीदृक् भवति?

No comments:

Post a Comment